तथागत समाज कल्याण समिति द्वारा संचालित – "अपना घर" वृद्धाश्रम बुजुर्गों की सेवा | महिलाओं का उत्थान | बच्चों का पुनर्वास
उज्जैन रोड, आगर मालवा पर स्थित "अपना घर" वृद्धाश्रम, एक ऐसा प्रयास है जो समाज के उन लोगों के लिए समर्पित है जो जीवन के अंतिम पड़ाव पर अकेलेपन और उपेक्षा का सामना कर रहे हैं। तथागत समाज कल्याण समिति द्वारा संचालित यह केंद्र न केवल बुजुर्गों को भोजन, आवास और चिकित्सा जैसी मूलभूत सुविधाएं प्रदान करता है, बल्कि उन्हें मानसिक और भावनात्मक सहयोग भी उपलब्ध कराता है। यहाँ के शांत, स्वच्छ और आत्मीय वातावरण में वृद्धजन एक परिवार की तरह रहते हैं। समिति द्वारा नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच, योग सत्र, मनोरंजन कार्यक्रम और सांस्कृतिक आयोजनों का आयोजन किया जाता है, जिससे उनके जीवन में उत्साह और आत्मविश्वास बना रहता है। इसके साथ ही समिति महिलाओं के आत्मनिर्भर बनने की दिशा में भी कार्य कर रही है—उन्हें सिलाई-कढ़ाई, हस्तशिल्प और अन्य कौशलों का प्रशिक्षण देकर आर्थिक रूप से सक्षम बनाया जा रहा है। वहीं, अनाथ या बेसहारा बच्चों के लिए पुनर्वास और शिक्षा की व्यवस्था भी समिति द्वारा की जाती है, जिससे वे एक सुरक्षित और उज्ज्वल भविष्य की ओर बढ़ सकें। "अपना घर वृद्धाश्रम" सिर्फ एक आश्रय स्थल नहीं, बल्कि एक ऐसा परिवार है जहाँ जीवन के हर वर्ग के लिए अपनत्व, सेवा और सम्मान की भावना से काम किया जाता है

किसी को अपनो ने बेसहारा किया तो किसी के अपने ही दुनिया में नहीं बचें और बुढापें में आते आते दर दर की ठोकर खाने लगे, आगर मालवा जिले के ऐसे बेसहारा वृद्धजनो के लिए सहारा बनी एक महिला... जिसने राजेश खन्‍ना अभिनित फिल्‍म अवतार से प्रेरणा लेकर एक एनजीओ बनाया और खोला अपनाघर वृद्धाश्रम..

वीओ - इन बुजुर्गो से मिलिए, इन्हे अच्छा लगता है जब कोई अजनबी इनके साथ अपना बनने की कोशिश करता है क्योंकि इनके अपनों ने इन्हे भुला दिया है, आगर मालवा में उज्‍जैन रोड पर एक मकान में खोले गए वृद्धाश्रम में बेसहारा वृद्धजनो को हर तरह की खुशी मिल रही हैा 11 माह पहले शुरू हुए इस अपनाघर में रह रहे 15 बुजुर्गो की कहानी सुनकर हर कोई रूआंसा हो जाता है किसी की औलादनहीं तो किसी को औलाद ने ही ठोकरे खाने को छोड दियाा

वीओ - आगर निवासी रमेश चंद सेन इस वृद्धाश्रम में रहने वाले एक ऐसे ही बुजुर्ग है इनका कोई पुत्र था नहीं 2 लडकीयां है...उनकी शादी करने के बाद पत्‍नी के सहारे अपना जीवन बिता रहे थे लेकिन पत्‍नी का भी निधन हो गया... पत्‍नी के गुजर जाने के बाद जिंदगी बदहाल स्थिति से गुजर रही थी... चार साल से भटक रहे थे कभी बडी बेटी के पास तो कभी छोटी के पास.... दामाद परेशान करते थे ...परेशानी में घर छोड दिया... भटकते भटकते अपनाघर में पनाह मिली और अब यहां एक अलग ही परिवार बना लिया....

वीओ - अपनी आपबीती सुनाते सुनाते रूआंसा हो चुके रमेश चन्‍द्र के अलावा 81 साल की गंगाबाई की स्थिति और चिंताजनक है... एक लडका और एक लडकी होने के बावजुद दोनो ने मां की देखभाल करना उचित नहीं समझा... बेटा कामकाज की तलाश में किसी दुसरे शहर चला गया और बेटी ने भी कुछ वर्षो तक ही मां की देखभाल की और छोड दिया ठोकरे खाने को.... पर मीना के रूप में मिली बेटी और अपना घर में सहारा मिलने पर अब सब गम भुलाने को तैयार हो गई...

वीओ - अपने जीवन के 85 बसंत पुरे कर चुके का जीवन भी कम उतार चढाव भरा नहीं है... की कोई संतान नहीं है और मजबुरी के मारे बहन के पास रह रहे थे... जैसे ही वृद्धाश्रम की जानकारी मिली तो ये वृद्धाश्रम आ पंहुचे । अब यहां समय पर खाना पीना, चाय नाश्‍ता मिल जाता है.... इनके जैसे बुजुर्ग .जगदीश परमार ..सरदार सिंह. जीवन के अंतिम पढाव पर यहां अपने आपको सुखी महसुस कररहे है।

वीओ - परन्‍तु किसी ने सच ही कहा है कि जिसका कोई नहीं उसका तो है उपरवाला.... और शायद दर दर की ठोकरे खा रहे इन बुजुर्गो के लिए ईश्‍वर ने बेटी के रूप में इनके पास मीना को भेज दिया.... इन वृद्धजनो की सेवा में जुटी संचालक मीना जयंत वैसे तो भिंड जिले की निवासी है... मीना के अनुसार उनके जीवन का सपना था कि वो जब लोगो की मदद करने के काबिल हो जाए तब वह वृद्धजनो की सेवा करेगी... राजेश खन्‍ना अभिनित फिल्‍म अवतार से प्रेरणा मिली... वो बताती है कि आगर मालवा जिला नया बनने और यहां पर एक भी वृद्धाश्रम नहीं होने की जानकारी लगी तो वें यहां चली आई, और अपनाघर वृद्धाश्रम खोल लिया... उनके परिवार का भी इसमें भरपुर सहयोग मिलता है।

विओ - थोड़ी सी ख़ुशी बांटने से देखिये कितनी खुशियां मिलती है ....






ईमेल

apnagharagar@gmail.com